विश्व को प्रमाण देती थी हमारी सभ्यता जो
तुमने उसी ध्वजा को कैसे झुकवा दिया।
करुना से हीन करूणानिधि बताइयेगा,
राम सुत ने क्यो राम रथ रुकवा दिया ?
हो गए हो क्षण मे विभीषण से कुल-घाती,
माँ के दूध का भी कर्ज खूब चुकवा दिया।
राम के ही नाम पे लगा के प्रश्न-चिन्ह तूने,
हिन्दू होके हिन्दू आस्था पे थुकवा दिया।
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राम-सेतु को नकारने की बात करते हैं,
जिसने सिया को पुनः राम से मिलाया है।
पत्थरों की धडकनों पे राम जी का नाम लिख,
सिन्धु में उतर नल-नील ने सजाया है॥
बीस साल चलता नही है पुल आपका,
जो लोहे-कंकरीट-तकनीक पे टिकाया है।
साल नही काल बीते खारे पानी में मिला जो,
सेतु जाके पूछो किसके बाप ने बनाया है॥
-डॉ. सौरभ सुमन
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1 comment:
saurabh ji achchi shuruaat hai...
jaari rakhe
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